Saturday, March 10, 2012

तस्वीर ...
















खाली पड़ी है, एक तस्वीर 
चल, उसे रंगीन करे 
पुरानी पड़ी है, किसी कोने मे
चल, उसे नवीन करे |

मेने तो सिर्फ खीची थी लकीरे 
छुप गयी जो धुल से 
कूची ने उकेरा चेहरा सलोना 
मिल गया जो तुमसे भूल के |

फीका लगता है, बदरंग सा चेहरा 
चल, उसे हसीन करे 
खली पड़ी है एक तस्वीर 
चल, उसे रंगीन करे |

20 comments:

  1. bahut sundar kavita. Bahut sare bhav hai is mein...

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  2. Rangin karein, navin karein...bahut sundar

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  3. Nice! I especially liked the second one:)

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  4. bahut hi umda likha aap ne mere blog par aap saadr aamntrit hai

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  5. Ruchi, so much color of life in this lovely poem:)

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  6. WOW! Flow of the words amazing..Jaise bachpan mein ham kaha karte the chalo ye kare, chalo wo kare...Bilkul waise hi aapki poem padhne ke baad laga...I loved these line "फीका लगता है, बदरंग सा चेहरा
    चल, उसे हसीन करे
    खली पड़ी है एक तस्वीर
    चल, उसे रंगीन करे |

    Keep writing:)

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  7. आशा उछाह उमंग की कविता -आई लाईक इट :)

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  8. Please remove the word verification!

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  9. बेरंग को रंगों से भरने में ही जीवन की सार्थकता है, सुन्दर.

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  10. बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट..... शुभकामनायें।

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  11. बड़ी तरकीब से कह दी आपने इतनी सारी बातें!

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  12. फीका लगता है, बदरंग सा चेहरा
    चल, उसे हसीन करे
    खली पड़ी है एक तस्वीर
    चल, उसे रंगीन करे ...

    बहुत खूब ... किसी के जीवन में फीके रंग भरना ही सच्ची कला है ...
    खूबसूरत पंक्तियाँ ...

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  13. जीवन में रंग भरना ही कला है बहुत सुन्दर.

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  14. फीका लगता है, बदरंग सा चेहरा
    चल, उसे हसीन करे
    बहुत ही सुन्दर रचना रूचि जी सादर आभार .....आपकी रचना पढ़ कर कुछ याद आ गया
    घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें |
    किसी रोते हुए इंशा को हसाया जाये ||

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  15. अच्छी रचना....खींची थी लकीरें ..और चेहरा किसी से मिल गया..होता है अक्सर ..

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  16. बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,

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  17. जीवन बेरंग किस कम का..
    रंग तो भरना ही है..
    सुन्दर रचना...

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