तुम्हे देखते देखते
रात हो जाया करती थी
यूँ ही बैठे बैठे कुछ
बात हो जाया करती थी |
फिर...
मिटाया वक़्त ने सब कुछ इस तरह की
सूनापन आँखें बयां करती है
जीना तो कब का छोड़ दिया
ज़िन्दगी पर साँसे दया करती है |
अब...
तुम्हे पता है
तुम्हारे बिन, ये आँखें बहुत रोती है
और बस तुम्हे याद करते करते ही सोती है |
और बस तुम्हे याद करते करते ही सोती है |