Thursday, September 27, 2012

जिंदगी की दौड़...


जिंदगी की दौड़ मे
एक हाथ ढूँढने चले 
रास्ते सबके थे अलग 
फिर भी साथ ढूँढने चले 

कुछ जल्दी थी सबको जाने की 
मंजिल को जो पाना था
सही और गलत के अंतर से
दूर जो सबको जाना था 

कोशिश मे साथ निभाने की
सब पास आते गए 
मंजिले थी अलग अलग
पर साथ साथ जाते गए |







12 comments:

  1. Saath dhoondhna bhi ek sangharsh hi hai...

    Sundar

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  2. वाह ,,,, सुंदर अभिव्यक्ति,,,रूचि जी

    RECENT POST : गीत,

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  3. thodi adhoori lagi, par sundar lagi

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  4. Ruchi,

    SAATH AGAR HO TO SAB APNI MANZIL PAR PAHUNCH JAATE HAI, ALAG ALAG KYON NAA HON MANZILEN.

    Take care

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  5. कोशिश मे साथ निभाने की
    सब पास आते गए
    मंजिले थी अलग अलग
    पर साथ साथ जाते गए |
    very nice. thanks to visit my blog.
    mera hamesha yahi manana hai ki apne itni asaani se nahin milte. bas apna 100% dete jayo.

    http://udaari.blogspot.in


    ReplyDelete
  6. कोशिश मे साथ निभाने की
    सब पास आते गए
    मंजिले थी अलग अलग
    पर साथ साथ जाते गए |
    very nice. thanks to visit my blog.
    mera hamesha yahi manana hai ki apne itni asaani se nahin milte. bas apna 100% dete jayo.

    http://udaari.blogspot.in


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  7. भाव-प्रवण कविता । मेरे पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं।

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  8. मंजिले थी अलग अलग
    पर साथ साथ जाते गए |
    Very Nice !

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  9. very nice ......
    bahut hi badhiya koshish .....
    jaari rakhen .....

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  10. सच्ची कोशिश हो तो हर कोई साथ देता है ...
    बहुत अच्छी रचना ...

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