Monday, July 25, 2011

खिलौना...

जहाँ जाऊ मुझे बस  तुम्हारा ख्याल है  
सोया हु तो बस तुम्हारा ख्वाब है 
हर चेहरे मे बस  तेरा अक्स नज़र आता है 
हर पल बस तुझे देखने को जी चाहता है |

हकीक़त को मै झूट्लाता हूँ 
की तू मेरे साथ नहीं है 
पर मै तुझे कैसे भूल जाऊ ?
भूल जाने से तो, मरना आसान नज़र आता है |

जानता हूँ, तुम रूठ गयी हो  
लेकिन तुम्हे मनाऊ कैसे ?
तुम एक बार शिकायत तो करती मुझसे 
आखिरी बार मनाने  को जी चाहता है |

तुम्हारे साथ बिताये, वो अनमोल पल 
हमेशा रखता हूँ अपने दिल मे संभालकर  
यही  सोचता रहता हु हमेशा की
काश हम  प्यार कर पाते ज़िन्दगी भर |

खिलोने चुप रहते  है, वो कुछ कहते नहीं   
अक्सर टूट जाया करते है वो भी 
जब कोई उनका साथ छोड़ जाता है 
मेरा प्यार भी बिखर गया टुकडो मे 
क्यूकी अब वो प्यार बस एक खिलौना है |

P.S--  This one i wrote from a boy's point of view, I had only tried to expand the message written by Mr. Gaurang.
Jaha jau mujhe bus tumhara khayal hai..
Soya hu to bus tumhara khuwab hai...
Hakikat ko me zhutalata hu
ki tu mere sath nahi hai..
Kash hum pyar kar pate zindagi bhar
par aab woo pyar bus ek khilona hai..


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