ज़िन्दगी कुछ और नहीं
एक सवाल है पुराना
जवाब जिसका मिलता नहीं
फिर भी अंत तक सुलझाना |
अच्हे समय का साथ भी
बुरे के साथ ढल गया
इस मोड़ से उस मोड़ तक
धीरे धीरे सब बदल गया |
कुछ साथ पीछे रह गए
थोड़े फासले उनसे बड़े
अकेले ही नए मोड़ पर
वो आज दूर हमसे खड़े |
ये ज़िन्दगी की दौड़ मे
सब कुछ यू बदलता गया
कोई जीत के आगे रुक गया
कोई हार के भी चलता गया |
सब साथ यहाँ निभाते दिखते
फिर अंत मे क्यों रह जाता एक है
है ज़िन्दगी के जवाब अलग
है ज़िन्दगी के जवाब अलग
पर सवाल सबका क्यों एक है ?