Friday, April 13, 2012

तेरा साथ मिल जाये ...


फिर से जीने है कुछ सपने 
बस तेरा साथ मिल जाये 
बढ जायेंगे कदम अपने आप 
बस तेरा हाथ मिल जाये |

तुम ही कहते थे ना
बस यू ही हँसती रहा करो 
तुम खुश रहती हो तो 
मै भी खुश हो जाता हू |


फिर, अपनी खुशियों को अधूरा छोड़कर 
चले गए, तुम दूर कहाँ
जानती हू, सबकुछ पाकर भी 
ढूँढ़ते होंगे बस मुझे वहाँ

तुम ही कहते थे ना मुझसे
साथ रहना हमेशा मेरे 
फिर क्यों नही ले गए अपने साथ 
मै भी संग रहना चाहती थी तेरे 

फिर से कहना है तुमसे बहुत कुछ 
बस एक बात मिल जाये 
चल, फिर से शुरू करते है सिलसिला 
बस तेरा साथ मिल जाये |


23 comments:

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  2. विरह भावना का अच्छा चित्रण ..........

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  3. बहुत सुंदर ............

    सस्नेह.

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  4. अनुपम भाव लिए सुंदर रचना...बेहतरीन पोस्ट लगी ,...रूचि जी,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  5. किसी के साथ होने पर हर कुछ संभव है!! :)

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  6. प्रभावशाली प्रस्तुति ...

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  7. फिर से कहना है तुमसे बहुत कुछ
    बस एक बात मिल जाये
    चल, फिर से शुरू करते है सिलसिला
    बस तेरा साथ मिल जाये |... badhiya

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  8. सुन्दर प्रस्तुति, सार्थक कृति

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  9. Lovely poem. Ruchi, don't you think it should be jeene in the first line of the poem.

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  10. फिर से कहना है तुमसे बहुत कुछ
    बस एक बात मिल जाये
    चल, फिर से शुरू करते है सिलसिला
    बस तेरा साथ मिल जाये

    हृदय को स्पर्श करने वाली रचना।
    बहुत सुंदर!

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  11. Dua ye Silsile shuru hon..

    Bahut sunder Rachna..Badhaayi

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  12. Very nice. Simple and sweet!

    http://rachnaparmar.com

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  13. Nicely written. Good that I overcame my mental blocks and started reading Hindi as well. Mother tongue has greater power to bring out feelings from the heart than a foreign tongue.

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  14. फिर से कहना है तुमसे बहुत कुछ
    बस एक बात मिल जाये
    चल, फिर से शुरू करते है सिलसिला
    बस तेरा साथ मिल जाये |

    जी हाँ यह सिलसिला शुरू होना ही चाहिये. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.

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  15. वायुवीय प्रेम की कोमल रचना बाल मन का कुहाँसा बिखेरती सब तरफ .आस से संसिक्त .

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  16. साथ मिल जाए तो सफर आसानी से कट जाए।

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  17. simply so great...the flow of every line was perfect

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  18. Congratulations!

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  19. तुम ही कहते थे ना मुझसे
    साथ रहना हमेशा मेरे
    फिर क्यों नही ले गए अपने साथ
    मै भी संग रहना चाहती थी तेरे

    bahut khoob
    ummdaa lines

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  20. बहुत ही सुन्दर रचना...

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