चल, उसे रंगीन करे
पुरानी पड़ी है, किसी कोने मे
चल, उसे नवीन करे |
मेने तो सिर्फ खीची थी लकीरे
छुप गयी जो धुल से
कूची ने उकेरा चेहरा सलोना
मिल गया जो तुमसे भूल के |
फीका लगता है, बदरंग सा चेहरा
चल, उसे हसीन करे
खली पड़ी है एक तस्वीर
चल, उसे रंगीन करे |
bahut sundar kavita. Bahut sare bhav hai is mein...
ReplyDeleteRangin karein, navin karein...bahut sundar
ReplyDeleteNice! I especially liked the second one:)
ReplyDeletebahut hi umda likha aap ne mere blog par aap saadr aamntrit hai
ReplyDeleteRuchi, so much color of life in this lovely poem:)
ReplyDeleteWOW! Flow of the words amazing..Jaise bachpan mein ham kaha karte the chalo ye kare, chalo wo kare...Bilkul waise hi aapki poem padhne ke baad laga...I loved these line "फीका लगता है, बदरंग सा चेहरा
ReplyDeleteचल, उसे हसीन करे
खली पड़ी है एक तस्वीर
चल, उसे रंगीन करे |
Keep writing:)
आशा उछाह उमंग की कविता -आई लाईक इट :)
ReplyDeletePlease remove the word verification!
ReplyDeleteBahut Sunder....
ReplyDeleteबेरंग को रंगों से भरने में ही जीवन की सार्थकता है, सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट..... शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteबड़ी तरकीब से कह दी आपने इतनी सारी बातें!
ReplyDeleteफीका लगता है, बदरंग सा चेहरा
ReplyDeleteचल, उसे हसीन करे
खली पड़ी है एक तस्वीर
चल, उसे रंगीन करे ...
बहुत खूब ... किसी के जीवन में फीके रंग भरना ही सच्ची कला है ...
खूबसूरत पंक्तियाँ ...
जीवन में रंग भरना ही कला है बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteफीका लगता है, बदरंग सा चेहरा
ReplyDeleteचल, उसे हसीन करे
बहुत ही सुन्दर रचना रूचि जी सादर आभार .....आपकी रचना पढ़ कर कुछ याद आ गया
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें |
किसी रोते हुए इंशा को हसाया जाये ||
अच्छी रचना....खींची थी लकीरें ..और चेहरा किसी से मिल गया..होता है अक्सर ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
ReplyDeleteजीवन बेरंग किस कम का..
ReplyDeleteरंग तो भरना ही है..
सुन्दर रचना...
good one..!!
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