तुम्हे देखते देखते
रात हो जाया करती थी
यूँ ही बैठे बैठे कुछ
बात हो जाया करती थी |
फिर...
मिटाया वक़्त ने सब कुछ इस तरह की
सूनापन आँखें बयां करती है
जीना तो कब का छोड़ दिया
ज़िन्दगी पर साँसे दया करती है |
अब...
तुम्हे पता है
तुम्हारे बिन, ये आँखें बहुत रोती है
और बस तुम्हे याद करते करते ही सोती है |
और बस तुम्हे याद करते करते ही सोती है |
Beautiful. Loved every word of it!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteप्यारी रचना के लिए आपको बधाई
god bless u dear.
ReplyDelete♥
अरे ! रुचि जी … !
आप तो पुरानी ब्लॉगर हैं !
पहले…
तुम्हे देखते देखते
रात हो जाया करती थी
यूं ही बैठे बैठे कुछ
बात हो जाया करती थी
ईश्वर उन दिनों को लौटा दे … आमीन !
अब…
ये आंखें तुम्हारे बिना बहुत रोती है
और बस तुम्हे याद करते करते ही सोती है
कविता तो कविता है लेकिन…
मन के भावों की सुंदर कविता का करुण समापन !
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हृदयस्पर्शी......
ReplyDeleteप्रेम विकलता का सहज उदगार !
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति ,बहुत खूब लिखा है इस रचना के लिए आभार
ReplyDeleteनई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
सबसे पहले दक्ष को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.!!
Active Life Blog
Poignant but I loved the way you wrote last two lines...
ReplyDeleteNicely written!
ReplyDeleteफिर...
ReplyDeleteमिटाया वक़्त ने सब कुछ इस तरह की
सूनापन आँखें बयां करती है
खूबसूरत अह्साशों से भरी बेहतरीन कविता प्रस्तुत की है आपने
nice... :)
ReplyDeleteanother beautiful piece...:)
ReplyDeleteमित्रवर
ReplyDeleteआप से निवेदन है कि एक ब्लॉग सबका
( सामूहिक ब्लॉग) से खुद भी जुड़ें और अपने मित्रों को भी जोड़ें... शुक्रिया
आप भी सादर आमंत्रित हैं,
यूँ ही बैठे बैठे कुछ
ReplyDeleteबात हो जाया करती थी |
अच्छी लगी आपकी कविता. मन को छूने वाली.
wow.. so intense.. I just loved the killer line "Zindagi pe saanse daya karti hai"..
ReplyDeleteऔर फिर सपने भी तो उसी के आते हैं!! :)
ReplyDelete"तुम्हारे बिन, ये आँखें बहुत रोती है
ReplyDeleteऔर बस तुम्हे याद करते करते ही सोती है " I liked these line very much...You wrote this poem very nicely:)
Keep writing..:)