Sunday, June 26, 2011

ज़िन्दगी एक सवाल !

ज़िन्दगी कुछ और नहीं
एक सवाल है  पुराना 
जवाब जिसका मिलता नहीं 
फिर भी अंत तक सुलझाना |

अच्हे समय का साथ भी 
बुरे के साथ ढल गया 
इस मोड़ से उस मोड़ तक 
धीरे धीरे सब बदल गया |

कुछ साथ पीछे रह गए 
थोड़े फासले उनसे बड़े 
अकेले ही नए मोड़ पर
वो आज दूर हमसे खड़े |

ये ज़िन्दगी की दौड़ मे
सब कुछ यू बदलता गया 
कोई जीत के आगे रुक गया 
कोई हार के भी चलता गया |

सब साथ यहाँ निभाते दिखते
फिर अंत मे क्यों रह जाता एक है
 है ज़िन्दगी के जवाब अलग 
पर सवाल सबका क्यों एक है ?

1 comment:

  1. Wah!!! Very Well Crafted Ruchi !!!

    Loved the lines..
    ये ज़िन्दगी की दौड़ मे
    सब कुछ यू बदलता गया
    कोई जीत के आगे रुक गया
    कोई हार के भी चलता गया |

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