Thursday, May 26, 2011

मन्नत..



आसमान ने पूछा आज मुझसे 
तुम्हे कहाँ ले चलू
आज बैठ जाओ नीले बादलों पर
तुमको एक नया जहान ले चलू |

मैंने बोला जाना है, एक नए मोड़ पर 
रास्ता मुझे पता नहीं 
चले न जाना बीच मे छोड़ कर |

बादल बोला, अपनी गाड़ी धीरे चलाऊंगा 
तुम्हे सबसे अच्छी जगह ले जाऊँगा
विश्वास रखो मुझ पर, दोस्ती अपनी निभाऊंगा 
मेरा कोई ठिकाना नहीं, तुम्हे छोड़ कहाँ जाऊंगा |

दोस्ती का वादा उसने खूब निभाया 
मेरे लिए अपना आसमान छोड़ आया 
पहुचाया जहाँ उसने, वो जन्नत थी 
बादल नहीं वो, किसी की सच्ची मन्नत थी |

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