वो ७ साल का बचपन ही काफी था
न कोई चिंता न कोई फिकर
घूमते रहते इधर उधर
कभी कंचो के लिए लड़ाई
कभी मिटटी की गुडिया बनाई
बनाया सात पत्थर का सितोलिया
और खूब खेली छुपम छाई
पकड़ उचका पतंग घुमाई
जमकर होती पेंच लड़ाई
वो साप सीढ़ी की चढाई
वो आष्टाचंगा की भिड़ाई
वो घोडा बादाम छाई
पीछे देखे मार खाई
वो चिडिया उड़ में जब गाय उड़ाई
तो दोस्तों से मार खाई
वो लट्टू की गोल घुमाई
बार बार बैटिंग की लड़ाई
खाली हाथ से होती टायर चलाई
साइकिल से खूब रेस लगाई
लेलो ये १५ साल वापिस
लौटो दो वो बचपन दौबारा
फिर एक बार जीने की इक्छा है
awesome this was.. sahi mein koi zaroorat nahi unn salon ki jab woh saal kaafi they
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